कुत्ते दुखी होकर रोते हैं... मकड़ी तोड़ने लगती है अपने ही जाले; ग्रहण में बेचैन क्यों जाते हैं जानवर, बदल जाता है बर्ताव, पक्षियों में छा जाता है सन्नाटा...
Animals Reaction On Grahan Chandra Grahan 2023 on 28 October
Animals Reaction On Grahan: आज शनिवार रात को साल 2023 का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा जो कि दुनिया के अन्य हिस्सों के साथ-साथ भारत में भी दिखाई देगा। ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक दृष्टि में चंद्र या सूर्य ग्रहण की अवधि अशुभ और बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। क्योंकि ग्रहण का असर ब्रह्मांड की घटनाओं पर पड़ता है और इससे मानव जीवन भी प्रभावित होता है। इसीलिए ग्रहण के दौरान कई काम निषेध बताए गए हैं। आप जानते ही होंगे कि ग्रहण के दौरान शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं। सूतक शुरू होने से मंदिरों के कपाट तक बंद कर दिए जाते हैं।
ग्रहण के बीच न खाना बनाया जा सकता है और न ही खाया जा सकता है। शोर नहीं किया जाता है। गर्भवती महिलायें बाहर नहीं निकल सकती हैं। साथ ही मानव जीवन में और भी कुछ नियमों के पालन की बात कही गई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि, चराचर जगत के जमीनी जानवरों, आसमान में उड़ने वाले पक्षियों और जलजीवों के जीवन पर भी ग्रहण का गहरा प्रभाव पड़ता है। तो आइए जानते हैं कि, जानवरों और पक्षियों पर ग्रहण का किस तरह से प्रभाव होता है.
दरअसल, हम मानव तो घड़ी में समय देकर अपनी सारी क्रियाओं को निर्धारित कर लेते हैं मगर जानवर ऐसा नहीं कर सकते। उनकी तो सारी क्रियाएं प्रकृति की घड़ी पर ही आधारित होती हैं। यानि सुबह-दोपहर, शाम और रात से। जानवरों के सभी काम प्रकृति रुपी रोशनी और अंधेरे से तय हो जाते हैं कि कबतक दिन की रोशनी है और उन्हें अपने भोजन के लिए कब तक घूमना है और इसके बाद अंधेरे की आहट के साथ वह जान लेते हैं कि रात आ गई है और इस बीच वह यह तय कर लेते हैं कि उन्हें कौन सी दूसरी जगह जाना है और कहां सोना है। यानि उनका वो ठहराव, जहां वह बसेरा बनाएंगे।
मगर कहते हैं कि जब ग्रहण पड़ता है तो जानवरों का सारा जीवन चक्र प्रभावित हो जाता है। ग्रहण पर वह प्रकृति के समय को नहीं समझ पाते और इससे उनमें कन्फ्यूजन बढ़ती है। वह भ्रमित होते हैं और इसके साथ फिर उनमें बढ़ती है बेचैनी और मायूसी, साथ ही घबराहट और ऐसे में फिर जानवरों का बर्ताव अचानक बदलने लगता है। वह अपने सामान्य बर्ताव में नहीं रह पाते।
बतादें कि, सूर्य ग्रहण की अवधि का जानवरों पर ज्यादा प्रभाव होता है। क्योंकि जब सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ जाता है यानी चांद के पीछे सूर्य कुछ समय के लिए छिप जाता है तो सूर्य ग्रहण होता है। ऐसे में चांद के आगे आने से सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर पहुंच नहीं पाती है और कुछ देर के लिए जानवरों समेत सभी को अंधेरा दिखाई देने लगता है।
बताया जाता है कि, जानवरों की आंखों की रोशनी ज्यादा होती है और ऐसे में जब सूर्य की रोशनी के साथ दिन में सक्रिय रहने वाले जानवरों को ग्रहण के दौरान सूर्य की रोशनी थमती हुई दिखाई देती है तो वह यह सोचकर हैरान रह जाते हैं कि रात जल्दी कैसे हो गई और वह समय से पहले ही अपने आराम की ओर प्रस्थान करने लगते हैं। कहते हैं कि ब्रह्मांड की घटनाओं का सबसे ज्यादा असर जानवरों पर ही होता है।
ग्रहण पर जानवरों और पक्षियों को लेकर ये बातें
कहते हैं कि, ग्रहण के दौरान शोर मचाने वाले जानवर खामोश हो जाते हैं और कई जानवर चीखने भी लगते हैं। ग्रहण के दौरान कुत्ते दुखी होकर भौंकते और रोते हैं, वहीं कई जानवर को खुद को थका हुआ महसूस करते हैं। पालतू जानवरों को अंदर कर लिया जाता है। पक्षी अपना शोर बंद कर लेते हैं। पानी में ऐक्टिव रहने वाली मछलियां शांत हो जाती हैं। दरियाई घोड़े नदियों से दूर जाने लगते हैं। यहां तक की मकड़ी अपने जाले तोड़ने लगती है।